Thursday, October 3, 2024

Truth seldom hides

कोसिस मेरी ख़ामोशी मेरी 
सब कुछ जेसे चीख रही 
की आखिर कब तक तू सेह लेगी
 कोई नहीं देने वाला कोई मैडल तुझे 
अगर फिर भी तू जीत गयी 

ज़िन्दगी जेसे हारने में तुली हुई है 
फिर भी में लड़ने में लगी हुई हु 
कभी खुद से कभी आपने भगवन से 

अब क्या है जो में मांगू 
खुशियां तोह आप मोह माया बोल ले गए 
अब न इंसानो से उम्मीद है 
न भरोसा है मुझे 
बस जी रही हु में 
क्यों जीना है मुझे मर मर कर 
समझ नहीं पा रही हु में 

कोई कितने दिन लड़े 
सालो साल बस मर मर क्यों जिए 
मेरी खुशियों ने क्या बिगाड़ा किसी का 
जो उस्सको आप ले चले 

लेनी थी छीन कर तोह थोड़ी देर 
और जीने देते 
खुशियां देते प्यार देते 
इस तरह न तड़पाते 
इस भाबुक मन को क्यों दिया 
जिसको संभालना है मुश्किल 


सपने दिखते हो 
हकीकत करके फिर छीन लेते हो 
आँखे तरस जाती है 
मन उदास हो जाता है 

आखिर क्यों सपने सजाते हो 
जो तक़दीर में कभी लिखा ही न हो 
आप ही की ज़िन्दगी है 
दर्द इतना भी न दो की
मरने का मन रोज़ करे 



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