Tuesday, July 29, 2025

खालीपन!!

 

क्यों मुझको इतना खाली रखा है तुमने?

जब मेरे अरमानों का कुछ होता ही नहीं,

तो इस खालीपन को मैं कैसे गुज़ारूँ?

हर साँस, हर पल, ये कैसा सन्नाटा है?

जीवन की बगिया में, बस सूखा ही छाटा है।


जब भी दिल से कुछ चाहा मैंने,

तुमने वो छीन लिया, कह कर कि वो मेरा नहीं।

क्या मेरा वजूद, बस एक झूठा सपना है?

क्यों हर खुशी पर लगा है तेरा पहरा?


बस इस ज़िंदगी से मुझको इतनी भी चाहत नहीं,

कि तुम इसे मुझसे छीन लो।

मिट्टी का पुतली हूँ, मिट्टी में मिल जाऊँगी,

क्या फ़र्क पड़ेगा, गर आज ही गुज़र जाऊँगी।

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...