माना की तुम बेवफा नहीं थे
मजबूरी थी जो आपने आप को कायर बोलकर चले गए
पर क्या सोचा तुमने कभी तुम्हारी एक निर्णय
उसको उम्र भर कायर ही बने रहने देगी
उम्मीद बहत थी उसको तुमसे
नादान ने ज़िन्दगी भर तुम्हारे साथ
ज़िन्दगी जीना शिखना चाहती थी
उसको कोई संभल ने वाला न मिला
न सीखने वाला
तुम तोह ज़िन्दगी में खुश हो लिए
पर उसकी ज़िन्दगी उजड़ गयी,
कभी आकर शिकायत भी न करे
उस पगली को सब ने दर्द दिया
किस किस से उम्मीद हारे उसने
अब मुस्कुराना वह भूल गयी
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