हे जगत जननी, हे दिव्य शक्ति,
सुन ले पुकार इस थके हुए मन की।
जीवन की आधी राह चल चुकी हूँ,
अब मोह और हठ से थक चुकी हूँ,
बस तेरे इशारे पर चलना चाहती हूँ।
जो मेरे भाग्य से अब मेल नहीं खाता,
और बोझ बन मेरे मन को भरमाता,
उस हर बंधन की बेड़ी काट दे माँ,
मुझे मेरे सच्चे स्वरूप से छाँट दे माँ।
जीवन पथ में जो भी बाधाएँ हैं,
या रिश्तों की चुभती हवाएँ हैं,
उन्हें मुझसे शांति से दूर करो,
मेरे भीतर को अपने नूर से भरपूर करो।
अब सही राह मुझको दिखाओ हे माँ,
मन के कोलाहल को मिटाओ हे माँ।
हिम्मत और स्पष्टता मिला देना,
मुझे मेरी अपनी ही आवाज़ सुना देना।
अपना शेष जीवन तुझको सौंपती हूँ,
तेरे न्याय पर भरोसा करती हूँ।
पूर्ण विश्वास है, तू ही साथ देगी,
जो भी होगा, मेरे हित में ही होगा।
मेरा आभार स्वीकार करो, हे माँ।
ऐसा ही हो, तथास्तु।
ॐ शांति। 🙏
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