Monday, October 13, 2025

पुकार !!

 हे जग के नाथ, सुनो मेरी पुकार,

इतने मासूम नयन न डालो बारंबार।

जब क्षमा मुझे तुम देते ही नहीं,

फिर क्यों यूँ करुणा से देखते वहीं।


मुझे तो ज्ञात नहीं, किन कर्मों का ये दण्ड है,

पर तुम तो जग के सृष्टा, जग माता अनंत।

फिर भी क्यों नहीं बरसती कृपा तुम्हारी,

किस कसौटी पर ठहरी है ये प्रार्थना हमारी?



अरे, माता-पिता तो डाँटने के बाद,

प्यार-दुलार भी करते हैं।

रूठकर जब बच्चा उदास हो,

उसे स्नेह से समझाते हैं।


फिर तुम ऐसा क्यों नहीं करते,

क्यों मेरी परेशानी बढ़ाते हो?

जब मैं इतनी अच्छी नहीं थी,

तो मन में मेरे इतने आस क्यों जगाते हो?


समझ नहीं आता, अब क्या करूँ मैं,

कैसे मान लूँ कि ये दर्द भी मेरे भले के लिए है?

पीड़ा से तड़पती हूँ, रोती हूँ,

पर मरहम लगाने तुम नहीं आते हो।


अब बस करो हे ईश्वर, और मुझे,

ले चलो मेरी मंज़िल की ओर।

राह दिखाओ और साथ चलो 

मेरे, मुझे अकेला न करो।

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