अजीब सी आज ये तमन्ना उठी,
दुआओं का अर्पण कर जाऊँ अभी।
जिन्होंने न की कभी परवाह मेरी,
उन्हें भी सुखी रहने की आशीष दूँ सभी।
समेटो ये लम्हे जो जीवन के बचे,
मिटा दो निशाँ मेरा, बस अब यहीं।
निछावर किया प्यार मैंने बेशुमार,
अब साँसों की बारी, ये भी करूँ निसार।
ले जाओ ये जीवन की अंतिम भीख मेरी,
खुशी से बसो तुम, सदा आबाद रहो यार ।
जब राहें हैं जुदा, जाना ही है दूर,
तो हे मेरी रूह, अब तू भी हो जा दूर,|
मेरे साथ क्या पाया तूने बता?
सिवा दर्द के कुछ न था मेरा व्यक्त।
अब उड़ चल कहीं और, अपना जहाँ तू रच।
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Rakhi Tilak !