मैं लिख पाऊं कुछ तो,
मैं खुद को लिखूंगी..
खुद के हिस्से का,
दर्द,गम सब लिखूंगी..
वो मायूसी भरे दिन,
वो रोती हुई रातें लिखूंगी..
कुछ ख्वाब अधूरे,
कुछ शिकायतें लिखूंगी..
कुछ शोर अपना,
कुछ सन्नाटे लिखूंगी..
मैं लिख पाऊं कुछ तो,
मैं खुद को लिखूंगी..
में अपने हिस्से की सारी जज्बात लिखूंगी
अपने हौसले ..इर्रादे और अपनी तन्हाई लिखूंगी
कभी मौका मिले मुझे भी
तो में जरूर लिखूंगी
में लिख पाऊ कुछ तो,
में खुद को लिखूंगी ...
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