"जाने दिया था तुम्हें, फिर भी यह दिल क्यों रोता है?
जो मेरा था ही नहीं, उससे दूर होकर,
आज भी यह दिल क्यों रोता है?"
"ऐ खुदा, यह कैसी तकदीर है तेरी,
जो मुझे बेबस कर देती है?
क्या करूँ इस नादान दिल का,
जो बेवजह मुझे रुला देता है?"
"जब सब कुछ जाना ही है,
तो यूँ सितम न कर,
मुझे ले चल, और ज़ुल्म न कर।"
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